लक्ष्य और उद्देश्य
राजस्व परिषद का मुख्य उद्देश्य राजस्व विभाग के समस्त न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्यों को नियंत्रित, विनियमित एवं उन्नत करना है। परिषद नियमित पर्यवेक्षण एवं विश्लेषण द्वारा राजस्व विभाग की कार्य संस्कृति को गुणवत्ता प्रदान करने का सदैव प्रयास करती है। राजस्व परिषद राजस्व विभाग का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है। इसका मुख्यालय राज्य की राजधानी देहरादून में स्थित है। परिषद के अधीन दो सर्किट कोर्ट हैं। एक पौड़ी तथा दूसरा नैनीताल में है। गढ़वाल मंडल के पर्वतीय जिलों के मुकदमों की सुनवाई सर्किट कोर्ट पौड़ी में होती है जबकि कुमाऊं मंडल के मुकदमों का निपटारा सर्किट कोर्ट नैनीताल में होता है। देहरादून एवं हरिद्वार जिलों के राजस्व मुकदमों का निपटारा मुख्यालय पर होता है।
समस्त प्रशासनिक कार्य न्यायिक कार्य एवं राजस्व संग्रहण से संबंधित कार्यों को नियंत्रित एवं विनियमित करने का दायित्व राजस्व परिषद का होता है। राजस्व परिषद के अध्यक्ष राजस्व विभाग के कार्मिकों के लिए विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। राजस्व उपनिरीक्षक/लेखापाल, राजस्व निरीक्षक, रजिस्टार कानूनगो, मंत्रालयिक कर्मचारी, संग्रह कर्मचारी, तहसील व जिलों के प्रशासनिक अधिकारी/वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, नायब तहसीलदार व तहसीलदार। राजस्व परिषद के अध्यक्ष को राजस्व पुलिस का मुख्य संयोजक नामित किया गया है। इस पद पर वह राजस्व पुलिस कर्मियों के कार्यों का नियमित पर्यवेक्षण व विश्लेषण करते हैं। राजस्व परिषद के अंतर्गत कृषि जनगणना एवं सांख्यिकी अनुभाग की स्थापना की गई है। इस अनुभाग में कृषक की जोत का आकार, जाति व लिंग के आधार पर कृषकों की संख्या, जोत का औसत आकार, फसलों की संख्या, विभिन्न फसलों से आच्छादित क्षेत्रफल, सिंचित व असिंचित क्षेत्रफल, बीज, उर्वरक व प्रयुक्त उपकरणों से संबंधित आंकड़े राजस्व कर्मचारियों की मदद से एकत्र किए जाते हैं। इस आंकड़े का उपयोग राज्य व केंद्र सरकार विभिन्न योजनाएं व नीतियां बनाने में करती हैं। चकबंदी के कार्य को नियंत्रित व विनियमित करने की शक्ति राजस्व परिषद में निहित है। राजस्व परिषद के अध्यक्ष चकबंदी के समस्त कार्मिकों के विभागाध्यक्ष होते हैं तथा चकबंदी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ‘चकबंदी आयुक्त’ के रूप में कार्य करते हैं। अभिलेख संचालन एवं बंदोबस्त से संबंधित समस्त कार्य राजस्व परिषद की देखरेख में किए जाते हैं। राजस्व परिषद के प्रशासनिक नियंत्रण में राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित इस योजना में सम्पूर्ण राजस्व अभिलेखों अर्थात खतौनी, खसरा, मानचित्र आदि का डिजिटाइजेशन किया जाना है, जिसमें पुनः सर्वेक्षण के पश्चात तैयार अभिलेख भी शामिल हैं, ताकि सम्पूर्ण भू-अभिलेख का त्रुटिरहित डाटा बेस संकलित किया जा सके। बोर्ड का उद्देश्य जनता से प्राप्त शिकायतों का निस्तारण कर उन्हें राहत प्रदान करना तथा दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों को दंडित करना है, ताकि आम जनता को स्वच्छ, प्रभावी एवं अनुशासित प्रशासन उपलब्ध कराया जा सके। बोर्ड को अधिकाधिक प्रभावी बनाने के अपने ईमानदार प्रयासों में जनता के विभिन्न वर्गों एवं मीडिया से सभी प्रकार के सुझावों एवं विचारों का सदैव स्वागत है।